अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार. यह मेरी पहली कहानी है, अगर इसमें कुछ गलती हो तो क्षमा चाहूंगा. आज मैं जो आज आपको कहानी सुनाने वाला हूँ वो मेरी एकदम सच्ची घटना है मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ये भी कभी कर सकता हूँ.
मेरा नाम देवीप्रकाश (बदला हुआ नाम) है और मैं 20 साल का हूँ. मेरे लंड की साइज लगभग 9 इंच होगी. मैं दिखने में एक साधारण जवान लड़के की तरह हूँ.
मेरे परिवार में हम दो भाई और मेरे पापा और मेरी भाभी हैं. मेरे बड़े भाई का नाम विकास है और मेरी भाभी का नाम रिंकू है. मेरे भाभी की चूचियों की साइज 34 इंच है. उनकी मस्त मोटी गांड है, जब वो बाहर जाती हैं, तो उनको देख के अच्छे अच्छे के लंड खड़े हो जाते हैं.
हमारा एक जनरल स्टोर है, मेरा भाई दुकान पर पापा के साथ ही बैठता है.
यह उस वक्त की बात है मैं जब 12वीं क्लास में था, तब मैंने अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ना आरंभ किया था. भाभी देवर की कहानियां पढ़ कर मेरा ध्यान धीरे धीरे अपनी भाभी की तरफ आकर्षित होने लगा और मैं भाभी को पटाने की कोशिश करने लगा. फिर मैंने कुछ करने की सोची ताकि मैं भाभी के मजे ले सकूं.
तभी एक दिन मेरा भाई किसी काम से एक दिन के लिए शहर से बाहर गया तो मेरे को कुछ करने का एक मौका मिल गया. मैंने उस मौके का फायदा उठाने की सोची और मैं भाभी के रूम में जाके टीवी देखने लगा. तभी कुछ समय में मेरी भाभी रूम में आ गईं.
थोड़ी देर हमने बातें की और टीवी देखने लगे. तभी भाभी बोलीं- मुझे नींद आ रही है.
मैं बोला- तो आप सो जाओ.. मैं थोड़ी देर में टीवी देख कर मेरे रूम में चला जाऊंगा.
भाभी बोलीं- ठीक है.
वो बिस्तर पर लेट कर सो गईं. मैंने थोड़ी देर टीवी देखी और मैंने देखा भाभी सो गई हैं तो मैं टीवी बन्द करके वहीं सो गया और अपने पैरों से हरकत करने लगा. मैंने अपने पैरों को उनके पैर पर रख दिए और अपने पैरों को धीरे धीरे उनके ऊपर बढ़ाने लगा.
तभी एकदम से भाभी ने करवट ली और उनकी पीठ मेरी तरफ हो गयी तो मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया. कुछ वक़्त इंतजार करने के बाद मैं फिर से अपने पैरो को बढ़ाने लगा और धीरे धीरे मेरा पैर उनकी जांघ के बीच में आ गया.
तभी एकदम से उन्होंने पैरों को इकठ्ठा करके थोड़ा दबाव बनाया तो मुझे लगा उनकी तरफ से ग्रीन सिग्नल है.
मैंने अपने पैर के पंजे को उनकी चुत के ऊपर रख दिया. तभी वो एकदम से उठ गईं तो मैं थोड़ा डर गया और नींद में होने का नाटक करने लगा.
फिर भाभी बोलीं- देवी भैया, उठो और आप अपने रूम में जाओ.
मैं चुपचाप नींद से उठने का बहाना कर उनके रूम से निकल कर मेरे रूम में आ गया और उनके नाम की मुठ मार के सो गया.
अब मैं किसी मौके की तलाश करने लगा.
तभी एक दिन हम सब फैमिली के लोग किसी शादी में गए. जब हम सब वहां से जब लौट कर आ रहे थे, तब बहुत रात हो चुकी थी. हम सब लोग एक वैन के अन्दर बैठ कर वापिस घर आ रहे थे. वैन में भाभी मेरे बिल्कुल पास बैठी थीं तो मुझे एक और मौका मिल गया था. मैं भाभी को धीरे धीरे अपने हाथ से धीरे सहलाने लगा.
धीरे धीरे सहलाने से शायद उन पर भी वासना की हवस चढ़ गई और कुछ समय बाद मैंने धीरे से अपनी एक उंगली उनके मम्मों पर लगाई. फिर जब मुझे लगा उधर से भी कोई रिएक्शन नहीं है, तो मैं धीरे धीरे अपने हाथों को बढ़ाने लगा. तभी वो अपने हाथों को ऊपर अपने सिर के पीछे रख के सोने लगीं. इससे उनके मम्मों को दबाने में मुझे आसानी होने लगी थी.. क्योंकि उनके मम्मों पर अब मेरा हाथ आसानी से जा रहा था. इसको मैंने भाभी की तरफ से रजामंदी मानी. अब मैं उनके मम्मों को धीरे धीरे जोर से मसलने लगा. इससे मेरी पेंट में मेरा लंड एकदम खड़ा हो चुका था और मेरा मन कर रहा था कि भाभी को अभी ही चोद दूँ. लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता था.
तभी थोड़ी देर में हमारा घर आ गया और घर पर मैंने मुठ मारी और सो गया.
अब मैं भाभी को बहुत जल्दी चोदना चाहता था, तो मैं बहुत सोच समझ कर रहने लगा और प्लान बनाने लगा. अपनी योजना के अनुसार मैंने नहाते वक्त एक दिन भाभी को अपना खड़ा लंड दिखा दिया था. मैंने महसूस किया था कि मेरा लम्बा लंड देख कर भाभी की आँखें चमक उठी थीं.
अब जब वो दिन में सोती थीं तो मैं धीरे से उनके पास जाके सो जाता और उनके शरीर को छूने लगता था. दिनों दिन मैं अपनी हरकतों को बढ़ाने लगा क्योंकि उन्होंने शुरू शुरू में तो थोड़ा विरोध किया लेकिन धीरे धीरे उनका विरोध कम हो गया और मेरी हिम्मत दिन ब दिन बढ़ती गयी.
फिर मैं उनके मम्मों को रोज दिन में सोते समय दबाने लगा. अब मैं उन्हें चोदना चाहता था. फिर मैंने एक प्लान बनाया.
मैंने एक देवर भाभी सेक्स स्टोरी की एप अपने मोबाइल में डाउनलोड की और चुपके से ये एप भाभी के मोबाइल में भी डाल दी. वो उन कहानियों को पढ़ने लगीं और उनका भी शायद मन होने लगा.
फिर एक दिन जब मैं दिन के समय बाहर बैठा था और उनके सोने का इंतजार कर रहा था. तभी वो मेरे पास आईं और मेरे से बोलीं- मेरे रूम में आओ कुछ काम है.
मैं भी उनके रूम में चला गया, सोचा कुछ काम होगा. रूम में जाने के बाद हम दोनों बेड पर बैठ गए.
तभी भाभी ने मुझे मोबाइल में सेक्स स्टोरी एप दिखाते हुए कहा- ये एप आपने डाली है?
मैं थोड़ा घबरा गया और डरते हुए बोला-नहीं नहीं.. ये एप मैंने नहीं डाली.
भाभी- तो ये कैसे आ गयी?
मैं- मुझे नहीं पता.
भाभी- खा जाओ मेरी कसम.
मैं- आपकी कसम खाने की क्या जरूरत है.. मैं बोल रहा हूँ ना.. मैंने नहीं डाली.
भाभी- आप रोज दिन में मेरे पास आके क्यों सो जाते हो?
मैंने अनजान बनते हुए कहा- कब सोया?
भाभी- आप सोते हो और मेरे बोबों को भी हाथ लगाते हो.
उनके मुँह से बोबे शब्द सुनते ही में आश्चर्यचकित हो गया.
मैंने अनजान बनते हुए कहा- मैंने कब लगाया?
भाभी- आखिर आप मुझसे चाहते क्या हो?
मैं कुछ नहीं बोला.
भाभी ने फिर पूछा, तो भी मैं डर के मारे कुछ नहीं बोल पाया.
भाभी- ये सेक्स स्टोरी की एप आपने ही डाली है.. मुझे सब पता है.
मैंने अपने डर को कम करते हुए उनकी आँखों में देखा- देखो भाभी ये एप मैंने नहीं डाली पर ये एप तो बहुत अच्छा है और आपको इसकी कहानियां पढ़ लेनी चाहिए.
भाभी- हां वो तो है.. इसमें मुझे भी इंटरेस्ट आ रहा है.
मैं- ये तो अच्छी चीज है और मैं आपके पास इसलिए सोता हूँ क्योंकि आप मुझे बहुत पसंद हो.
भाभी- अगर तुम्हारे भैया जी को यह पता चल गया तो?
मैं- अरे भाभी इस कि बात तो केवल आपको और मेरे को ही पता रहेगी और अपन दोनों पागल नहीं है जो भैया को ये बात बताएंगे.
भाभी- आपकी कोई जीएफ है?
मैं- नहीं भाभी.
भाभी- अगर हो तो बता दो.
मैं- अरे भाभी नहीं है.
भाभी- अगर शादी हुई तो आप मुझे भूल जाओगे.
मैं- भाभी आप बिलकुल पागल हो.. आप तो मुझे बहुत पसंद हो.
यह कह कर मैंने अपना एक हाथ उनके पेट पर रख दिया.. फिर धीरे से उनके मम्मों पर रख दिया और उन्हें ब्लाउज के ऊपर से ही सहलाने लगा.
भाभी- पहले दरवाजा तो बन्द कर दो.
मैंने झट से उठ कर दरवाजा बंद किया और आकर भाभी के साथ लेट गया. अब मैं उनके मम्मों को सहलाने लगा. फिर मैं उनके ब्लाउज को खोलने लगा और ब्लाउज को खोल कर उनके मम्मों को सहलाने लगा. भाभी ने मेरे सर को अपनी चूचियों की तरफ खींचा तो मैंने उनका एक दूध अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा. लगभग 8-10 मिनट चूची चूसने के बाद मैंने उनका हाथ अपने लंड पर रख दिया. भाभी मेरे लंड को ऊपर से ही सहलाने लगीं.
फिर मैंने एक हाथ उनके नीचे डाल कर उनके साड़ी को ऊपर कर दिया तो पाया कि उन्होंने पेंटी नहीं पहन रखी थी और वो एकदम नंगी थीं. उनकी चुत एकदम गीली हो चुकी थी.
मैंने देर ना करते हुए अपनी दो उंगलियों को उनकी चुत में डाल दिया और फ़िंगरिंग करने लगा. थोड़ी देर में भाभी मस्त हो गईं- उसको अन्दर डालो ना.
मैं- उसको किसको?
भाभी- अपने लंड को…
फिर मैं भाभी को चोदने के लिए उनकी चुत के ऊपर आ गया और अपने लंड को उनकी चुत पर सैट करके चुत में लंड डालने लगा. लेकिन मेरा लंड उनकी चुत में नहीं जा रहा था तो मैंने थोड़ी पॉन्ड्स क्रीम ली और थोड़ी क्रीम अपने लंड पर लगा ली. थोड़ी क्रीम उनकी चुत में भी लगा दी और लंड घुसाने लगा. इस बार मेरा लंड उनकी चुत में चला गया. अभी मेरा आधा लंड ही अन्दर गया था कि वो चीख पड़ीं और मुझे बोलने लगीं- बहुत तेज दर्द हो रहा है.. लंड बाहर निकालो.
भाभी मुझे धक्का देने लगीं, लेकिन मैं भी जोर लगा कर वहीं रुका रहा और उनके बूब्स चूसने लगा. उनके दर्द के कम होने का इंतजार करने लगा. जैसे ही मुझे लगा कि उनका दर्द कम हो गया, मैंने एक और झटका मारा और पूरा लंड चुत की गहराइयों में चला गया.
उनको फिर से दर्द होने लगा. मैं थोड़ी देर रुक कर धीरे धीरे झटके मारने लगा. थोड़ी देर ऐसे ही करने के बाद उनकी चुत ने पानी छोड़ दिया.. पर मैं लगा रहा.
फिर थोड़ी देर में भाभी बोलीं- जोर जोर से झटके मारो ना..
तो मैं जोर जोर से झटके मारने लगा. कुछ देर बाद जैसे ही मेरे लंड का पानी निकलने लगा, तो मैंने लंड बाहर निकाल कर उनके पेट पर पिचकारी छोड़ दी और हम दोनों कुछ देर वहीं लेट गए.
भाभी ने कुछ देर बाद उठ कर कपड़े ठीक किए और बाहर चली गईं.
भाभी अब मेरी पक्की जुगाड़ बन गई थीं, उनके साथ ही बाकी की चुदाई की कहानी अगली बार लिखूंगा.
प्रिय पाठको, मेरी भाभी संग चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी.. प्लीज मुझे मेल करके सुझाव अवश्य दें.
मेरा ईमेल पता है.
[email protected]
What did you think of this story??