अकेली भाभी की सेक्सी चुदाई की मैंने लॉकडाउन में खुल कर! मैं भाभी को पटाकर उसकी चुदाई कर चुका था। मगर लॉकडाउन में मैं और भाभी घर में अकेले रह गए।
दोस्तो, मेरा नाम सचिन है और मैं भोपाल का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 30 साल है और मैं आपको इसके पहले भी एक कहानी बता चुका हूं।
यह अकेली भाभी की सेक्सी चुदाई जो मैं आपको अभी बताने जा रहा हूं यह आपको तब ही समझ में आएगी जब आप इस कहानी का पहले वाला पार्ट
भाभी जी की दो कचौड़ियां
पढ़ोगे क्योंकि यह कहानी उसके आगे की है।
कहानी को आगे बढ़ाने से पहले मैं हल्का सा आपको पिछली कहानी के बारे में बता देता हूं।
इससे पहले वाली कड़ी में मैंने अपनी फ्लैट वाली मोहिनी भाभी को पटा लिया था; उसकी चूत को मैं एक बार चोद चुका था।
अब मेरा इरादा भाभी की गांड चुदाई करने का था।
तो दोस्तो, अब मैं आगे कहानी शुरू करता हूं।
मैं अपनी जॉब के लिए निकल रहा था और जब मैं दिनेश भाई के गेट के यहां से निकला तो दिनेश भाई ने मुझे आवाज देकर रोका।
दिनेश भाई- मैं किसी काम से 3 दिन के लिए अपने गांव जा रहा हूं। यदि मोहि को कुछ सामान की जरूरत पड़े तो तुम ला देना।
मैं एक पल के लिए तो डर गया फिर अपने आप को नियंत्रित करते हुए बोला- वह तो ठीक है, मगर भाई साहब मोहि कौन?
दिनेश भाई हंसते हुए बोले- तुम्हारी भाभी और कौन!
मैं बोला- ठीक है।
वो बोले- वैसे मैं 24 मार्च तक आ जाऊंगा।
दोस्तो, फिर मैं भी अपने काम पर निकल गया।
रात को 8:00 बजे जब मैं अपने रूम में था तो भाभी का फोन आया और वो बोली- क्या कर रहे हो डार्लिंग?
मैं- कुछ नहीं डार्लिंग, बस खाना बनाने की तैयारी कर रहा हूं।
भाभी- मेरे होते हुए मेरा जानू खाना बनाए, यह मुझे अच्छा नहीं लगेगा। जब तक दिनेश नहीं आ जाते तब तक तुम मेरे यहां पर ही खाना खाओगे और …
मैं- और क्या डार्लिंग … बताओ ना?
भाभी- और तुम्हें जो करना है वह भी कर देना … हा हा हा।
हंसते हुए भाभी ने फिर फोन रख दिया।
फिर मैं तैयार होकर 9:00 बजे भाभी के घर में गया तो देखा गेट खुला हुआ था।
मैं गेट खोल कर अंदर गया और आवाज दी- भाभी जी?
भाभी- आ जाइए, किचन में हूं … और गेट बंद करके आइएगा।
जब मैं किचन में गया तो देखा भाभी साड़ी में थीं और रोटियां बना रही थीं।
मैं धीरे से भाभी के पीछे गया और अपनी बांहें भाभी की कमर में डाल दीं और उनके गालों पर पीछे से किस किया।
भाभी- सब्र रखो डार्लिंग … खाना बना लूं … फिर हम खाना खाएंगे। फिर पूरी रात भर है हमारे पास!
मैं- तुम होली पर गांव क्यों नहीं गई? और अब अभी तुम्हारा पति गांव गया है तुम्हें साथ जाना चाहिए था।
भाभी- मेरी अपनी सास और ननद से नहीं बनती है। सास और ननद मुझे पसंद नहीं करती हैं और इस वजह से मैं गांव नहीं जाती हूं।
मैं- तुम्हारी सास और ननद से क्यों नहीं बनती है?
वो बोली- क्योंकि मैंने एक बार अपनी ननद को रात में किसी लड़के के साथ देख लिया था तो मैंने यह बात अपने ससुर को तुरंत जाकर बता दी। तो ससुर ने मेरी ननद को बहुत मारा। फिर जब सुसर को यह पता चला कि यह बात मेरी सास को भी पता थी तो वह यह बात जानकर और आग बबूला हो गए और सास को भी बहुत मार लगाई। तब से मेरी और सास की हमेशा लड़ाई होती रहती थी। यह बात देख कर मेरे पति मुझे यहां ले आए। खैर छोड़ो इन सब बातों को!
हमने साथ में खाना खाया और इन सभी कामों से फुर्सत होते-होते हमें रात के 11:00 बज गए।
रात को 11:00 बजे हम दोनों पलंग पर लेटे और उसके बच्चे को बाजू में सुला दिया।
फिर हम दोनों में उस रात दो बार सेक्स हुआ।
एक बार मैंने भाभी से बोला भी कि मुझे तुम्हारी गांड मारनी है मगर उसने मना कर दिया।
तो दोस्तो, 23 मार्च तक हम दोनों ने खूब सेक्स किया और रोज सुबह 5:00 बजे मैं वापस अपने रूम पर आकर सो जाता था।
24 मार्च को जब मैं सोकर उठा और अपना मोबाइल चेक किया तो पता चला कि पूरे भारत में लॉकडाउन लग चुका है।
हमारी कॉलोनी में जितने लोग भी किराए से रह रहे थे, सभी अपने अपने गांव को अपनी अपनी गाड़ियों से जा रहे थे।
मतलब हमारे आसपास के लगभग सभी किराएदार जा चुके थे।
11:00 बजे के करीब मोहिनी भाभी मेरे रूम पर आईं और बोलीं- क्या तुम भी अपने घर जा रहे हो?
मैं- नहीं डार्लिंग, मैं अपने घर पर नहीं जा रहा हूं।
मैंने जब उसे देखा तो उसने ब्लैक कलर का जिम सूट पहना हुआ था जिसमें उसके शरीर की एक एक गोलाई स्पष्ट दिखाई दे रहा था।
उसके ब्लैक जिम सूट को देखकर ऐसा लग रहा था कि उसने अंदर ना तो ब्रा पहनी है और ना ही पैंटी।
मैं उसे इस हालत में देखकर अपने कंट्रोल से बाहर हो गया और उसको तुरंत अपनी बांहों में जकड़ कर पलंग पर ले आया।
मैंने अपने कपड़े उतारे और उसके जिम सूट के ऊपर से उसके बूब्स को दबाने लगा।
मेरा लंड पहले ही खड़ा हो चुका था और उत्तेजना बहुत हो गई थी।
उसको इस सूट मैं देख कर मैंने लैगी के ऊपर से ही अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
अत्यधिक उत्तेजना होने के कारण मेरा वीर्य उसकी लैगी पर ही छूट गया और मैं निढाल होकर बाजू में गिर गया।
भाभी गुस्से में देखते हुए मुझसे बोली- इतना भी कंट्रोल नहीं रख सकते? मेरी लैगी पूरी खराब कर दी तुमने!
मैं- डार्लिंग, तुम्हें इन कपड़ों में देखकर तो मैं अपने आप को कंट्रोल ही नहीं कर सका।
भाभी- अच्छा वह सब छोड़ो, मैं तुम्हारे रूम में यह बताने आई थी कि तुम अपना सामान पैक करो और मेरे रूम में शिफ्ट हो जाओ जब तक लॉकडाउन है। अब हमारे मोहल्ले में कोई नहीं बचा है और जो बचा भी होगा वह अपने गांव को चला जाएगा।
ये कहकर भाभी चली गई।
मैंने अपना सामान पैक किया और उसका गेट खटखटाया।
भाभी ने गेट खोला तो देखा भाभी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।
वे अभी नहा कर बाहर आई थी और मुझसे बोली- तुम नहाकर आए हो या यहीं नहाओगे?
मैं- डार्लिंग, इतनी दूर से पैदल चलकर आ रहा हूं, कहीं कोई साधन भी नहीं मिला। थक गया हूं। अब यहीं नहाकर फ्रेश होऊंगा।
भाभी जोर से हंसी और बोली- ओ ले ले ले … मेला बाबू बहुत दूल से आया है … थक गया होगा। जाओ नहा लो … फ्रेश हो जाओ। मगर सुनो! अब भी कपड़े मत पहनना! सिर्फ अंडरवियर और बनियान पहनना।
मैं- जैसी आज्ञा मेरे सरकार!
जब हम दोनों खाना खा रहे थे तो एक दूसरे को देख रहे थे क्योंकि ऐसा नजारा ना तो मैंने और ना ही उसने कभी देखा था क्योंकि हम दोनों अंडरवियर में थे।
तभी उसका फोन बजा।
उसने उठाकर देखा और मेरे से बोली- दिनेश का फोन आ रहा है।
मैं- डार्लिंग, फोन स्पीकर पर लो और बात करो।
भाभी ने फोन उठाया और फोन स्पीकर पर करके हैलो बोला।
दिनेश- लॉकडाउन लग गया है और मैं नहीं आ पाऊंगा। कोई दिक्कत हो तो सचिन को फोन करके बुला लेना और बता देना। मुझे चिंता हो रही है तुम्हारी!
भाभी- आप ही सचिन को फोन करके बोल दो, मुझे अच्छा नहीं लगता उससे बात करते हुए!
दिनेश- क्यों? कुछ किया क्या उसने?
भाभी- कुछ करेगा तभी मैं तुमको बताऊं क्या? अरे वह लड़का आजाद है और मैं एक औरत हूं। अभी कॉलोनी में कोई है भी नहीं। कहीं उसने मौका देखकर मेरा फायदा उठाया तो?
दिनेश- अच्छा यह बात है! तुमको यदि उस से डर लगता है तो तुम उसे अपने रूम गेट के अंदर मत बुलाना। कोरोना का बहाना कर देना। कुछ जरूरत का सामान हो तो उससे रिक्वेस्ट करके बुला लेना। मैं उससे बात कर लेता हूं।
दोस्तो, फिर दिनेश का मेरे फोन पर फोन आया और मैंने लाउडस्पीकर मोड पर करके हैलो बोला।
दिनेश भाई- सचिन भाई, मैं दिनेश बोल रहा हूं। तुमको तो पता चल ही गया होगा कि लॉकडाउन लग गया है और मैं भोपाल नहीं आ सकता। तुमको तुम्हारी भाभी का ख्याल रखना है। सब्जी-भाजी और कुछ किराना का सामान लगे तो ला देना।
मैं- भैया, कोरोना भी चल रहा है भोपाल में! तो मैं अपने रूम से बाहर ही नहीं निकल रहा हूं। फिर भी अगर मैं मेरे लिए सामान लेने जाऊंगा तो लाकर गेट के बाहर रख दूंगा। भाभी का नंबर मेरे पास नहीं है।
दिनेश- मैं तुम्हारा नंबर मोहि को दे दूंगा। वह तुमसे बात कर लेगी और हां … ज्यादा मार्केट मार्केट में मत जाना। ख्याल रखो अपना, बाय।
फिर हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए और वह मेरी गोद में आकर बैठ गई और बोली- क्या विचार है … एक राउंड हो जाए?
यह कहते ही उसने अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी।
मैंने भी अपने कपड़े उतार कर भाभी को दीवार के पास ले जाकर सटा दिया और उसके बदन को चूमने लगा।
फिर मैं नीचे बैठा और उसके दोनों पैरों को चौड़ा करके उसकी चूत को चाटने लगा।
कुछ देर उसकी चूत चाटने के बाद मैं खड़ा हुआ।
फिर भाभी मुझे दीवान से सटाकर नीचे बैठ गई और मेरा लंड अपने मुंह में लेकर मुखमैथुन करने लगी।
10 मिनट तक हम एक दूसरे के बदन से खेलते रहे। फिर मैंने उसको वहीं बाजू में रखे हुए सोफे पर लिटाकर उसकी चुदाई की।
यह चुदाई हमको जल्दी खत्म करनी पड़ी क्योंकि उसका बच्चा दूसरे रूम में होने के कारण रोने लगा था।
रात में 10:00 बजे सभी कामों से फ्री होकर भाभी ने अपने बच्चे को सुलाया।
बच्चे को सुलाकर वह बाहर हॉल में आई जहां पर मैं टीवी देख रहा था।
वो मेरे बाजू में आकर बैठ गई।
फिर बाजू में रखे हुए रिमोट से टीवी बंद करके मेरा हाथ खींच कर बेडरूम में ले गई और बोली- मुझे कबड्डी खेलना है।
मैं- मुझे भी कबड्डी खेलना है मगर मैं चाहता हूं कि तुम वही जिम सूट पहन कर आओ।
मोहिनी भाभी- उस जिम सूट में क्या है ऐसा?
मैं- उस जिम सूट में तुम बहुत ही कड़क लगती हो। तुम्हारा पूरा शरीर गोरा है और वह जिम सूट तुम्हारे शरीर से पूरा चिपका हुआ दिखता है। जिसे देखकर ऐसा लगता है कि तुम्हें पकड़ कर खा जाऊं।
मोहिनी भाभी- अच्छा तो यह बात है .. हा-हा-हा। ठीक है तो, अभी आई।
वह अपने दूसरे रूम में चली गई और कुछ देर बाद आई तो भाभी उसी सूट में थी जिस सूट में वह सुबह मेरे रूम में आई थी।
मैं उसके पास गया और तुरंत उसे अपने दोनों हाथों में उठाया और उठाकर उसके बेडरूम की ओर चल दिया।
उसके पलंग पर उसे लिटाने के बाद मैं उसके ऊपर चढ़ गया और कपड़ों के ऊपर से ही उसके दो कचौड़ीनुमा दूध जोर-जोर से दबाने लगा।
ऐसा मन कर रहा था जैसे मैं उन दो कचौड़ियों को उखाड़ कर खा जाऊं।
भाभी- डार्लिंग, आराम से दबाओ। इतनी बेदर्दी से तो मेरे पति ने भी इनको कभी नहीं दबाया। बहुत दर्द हो रहा है … इतने बेरहम, बेदर्द मत बनो।
उसने मेरे चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़कर नीचे खींचा और अपने होंठों पर मेरे होंठ रखवा लिए और अंदर जीभ डाल दी।
जवाब में मैं भी अपनी जीभ से उनकी जीभ लड़ाने लगाl
कुछ देर तक किस करने के बाद मैं बाजू में लेटा और अपना सीधा हाथ उनके स्तन पर जोर से दबाया तो उन्होंने गुस्से से एक चांटा मेरे हाथ पर मारा।
फिर बोली- बदतमीज … बोला है आराम से कर!
मैं धीरे-धीरे हाथ फिराता हुआ उसके पेट पर गया और नाभि पर अपनी उंगली से गोल गोल घुमाया।
फिर उसकी ब्लैक लैगी के ऊपर जो कि उसकी चूत पर बहुत ही टाइट थी, ऊपर से ही चूत पर हाथ फेरने लगा।
अब वह अपने पैर दाएं बाएं पटक रही थी।
मेरी नजर बाजू पर रखी हुई टेबल पर गई जिस पर उसकी चांदी की पायल रखी हुई थीं; उसमें बहुत सारे घुंघरू लगे हुए थे।
शायद लैगी पहनते हुए उसने उतार दी होंगी।
कुछ देर तक ऐसे ही खेलते रहने के बाद मैंने धीरे धीरे करके उसके जिम सूट को उतार दिया।
अब भाभी मेरे सामने पूरी नंगी पड़ी हुई थी, उसका शरीर एकदम पीले सोने जैसे चमक रहा था।
मैं उसके ऊपर से उठा और अपने कपड़े उतार दिए; मैं भी नंगा हो गया।
वो मुझे आशा की नजर से देख रही थी मगर मैं मुड़ा और सीधा हॉल की तरफ जाने लगा।
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