मेरा नाम अभय है, उम्र 35, कद 5 फुट 10 इंच है. मैं पिछले कई वर्षों से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. इसलिए मैंने सोचा कि आज मैं भी अपनी सच्ची घटना आप सभी के मनोरंजन के लिए लिखूं, जिसे मैं आज तक नहीं भूल सका हूँ.
मैं सात वर्ष पूर्व एक मल्टी नेशनल कम्पनी में आगरा में काम करता था. वहां बहुत सी लड़कियां भी काम करती थीं. मैं उस वक्त अविवाहित था, लेकिन सेक्स में बहुत रूचि थी. इसी वजह से मेरी तीन गर्लफ्रेंड थीं, मैं उन्हीं को चोद कर काम चलाता रहता था. मैं उन तीन के अलावा ऑफिस में किसी की तरफ नहीं ध्यान देता था. यूं ही सब अच्छा चल रहा था. अक्सर हम सभी लंच में साथ साथ खाना खाते थे.
मैं मूलतः आगरा का नहीं था, जिस वजह से मेरा टिफिन एक कैंटीन से आता था. जिसमें हम आपस में खाना एक्सचेंज करके खा लिया करते थे.
इसी दौरान वहां मेरी नजदीकी एक कीर्ति नाम की लड़की से हुई. वो अपने घर से अक्सर ही मेरे लिए खाने को कुछ लाने लगी. हम लोग खाना शेयर करके खाने लगे. कुछ ही दिनों में हम अच्छे दोस्त बन चुके थे.
मेरी एक ट्रेनिंग के दौरान मुझे दिल्ली जाना हुआ. पूरे 5 दिन में ट्रेनिंग में रहा. वापस आने के अगले दिन में लंच में कीर्ति से मिला, तो देखा वो कुछ उदास थी.
मैंने उससे उसकी उदासी का कारण पूछा, तो वो रोने लगी. उसने बताया कि उसका ब्वॉयफ्रेंड अचानक जॉब छोड़ कर दूसरे शहर में चला गया है. वो उसे मिस कर रही है.
मैंने उसे समझाया और चुप कराके उसे खाना खिलाया. मैंने उससे आगे से उसका ध्यान रखने का प्रॉमिस किया. इस बात से वो खुश होकर काम करने लगी.
शाम को हम पार्किंग में मिले, तो मैंने उसे ड्राप करने के लिए बोला. मुझे पता था कि उसका ब्वॉयफ्रेंड रोज़ उसे ड्राप करता था. हालांकि मेरे मन में सिर्फ उसका ध्यान रखने की ही भावना थी.
वो मेरे साथ चल दी. हम लोगों ने रास्ते में जूस पिया. कीर्ति ने ही जूस पीने के लिए मुझे बोला था और उसी ने पेमेंट भी किया. उसके बाद मैंने उसे उसके घर ड्राप किया और अपने फ्लैट पर आ गया.
उसी रात को कीर्ति का कॉल आया. उसने मुझे थैंक्स बोला. हालांकि हम दोनों एक दूसरे को पहले से मैसेज करते रहते थे, पर कभी कॉल पर बात नहीं हुई थी. जो आज से शुरू हुई.
एक बार जो बात होनी शुरू हुई, तो अब तो ये सिलसिला रोज़ का हो गया. कीर्ति मुझसे घुल-मिल गयी. अक्सर मेरी गर्लफ्रेंड का कॉल आते देख कर मेरे से फ़ोन छीन कर वो मेरी गर्लफ्रेंड से बात करने लगी.
एक दिन मेरी गर्लफ्रेंड मिलने आई, तो मैंने फ्लैट पर ले जाकर उसके साथ सेक्स किया. उस दिन में छुट्टी पर रहा था. मैंने ऑफिस न आने का कीर्ति को बता दिया था.
अगले दिन मेरा मूड तो फ्रेश था, लेकिन मैंने नोटिस किया कि कीर्ति मेरे से कम बात कर रही थी. आज वो मेरे लिए खाना भी नहीं लायी. मेरे बुलाने पर खाना खाने भी नहीं आई. जिस वजह से मैं खाना बीच में छोड़कर उसे खुद बुलाने आया. तब वो खाना खाने आकर बैठ गयी. पता नहीं क्यों … मैंने अपने हाथ से उसे एक निवाला खिला दिया … बस कीर्ति रोने लगी.
मैंने पूछा कि आखिर हुआ क्या है?
तब उसने बताया कि अभय सर आप मेरा इतना ध्यान क्यों रखते हैं?
मैंने बोला- वो तो मैं शुरू से रखता हूँ और सभी का ही रखता हूँ, इसमें क्या गलत है.
कीर्ति बोली- कल आपकी गर्लफ्रेंड आई थी. आपने उसके साथ कुछ किया था?
मैंने बोला- हां किया था.
तो वह बोली- मुझे पता नहीं क्यों बस बुरा लगा.
ये बोलकर वो चली गयी.
मैं भी लंच फिनिश करके रोज़ की तरह सिगरेट पीने छत पर आ गया.
वापस आते समय कीर्ति छत पर आती दिखी, तो मैं रुक गया. उसने मेरी तरफ अजीब सी निगाहों से देखा, तो पता नहीं मुझे क्या हुआ. मैं आगे बढ़ा और उसे गले लगा लिया. वो भी जैसे ये ही सोच रही थी. वो मेरे गले से कसके लगने लगी.
मैं तो मानो सब कुछ भूलकर उसे होंठों पर किस करने लगा. पहले तो उसने थोड़ा विरोध किया, शायद सिगरेट की गंध उसे बुरी लगी हो, लेकिन मैंने उसे एक लम्बा किस किया.
कुछ ही देर की चूमाचाटी में हम दोनों बहुत गर्म हो चुके थे. फिर मैंने खुद को संभाला … क्योंकि हम दोनों खुली छत पर थे. अक्सर छत पर लोग आते जाते रहते थे. इसलिए हम दोनों कपड़े ठीक करके नीचे आ गए.
अब ऑफिस में काम करने में मेरा मन नहीं लग रहा था. देखने से साफ पता चल रहा था कि उसका भी मन नहीं लग रहा था. उसने शॉर्ट लीव के लिए मैनेजर से इण्टरकॉम पे बोला और मेरी तरफ देखते हुए घर जाने लगी. मेरा मूड भी अब ख़राब हो चुका था. मैंने भी शॉर्ट लीव ले ली और पार्किंग में आ गया.
मैंने देखा वो मेरा वेट कर रही थी. मैंने उसे बाइक पर बिठाया और पूछा कि फ्लैट पर ले चलूँ.
उसने हां में सहमति देते हुए मुझे कसके पकड़ लिया. आज मुझे उसके चूचे अपनी पीठ पर चुभते हुए फील हो रहे थे. हालांकि इससे पहले मैंने उसे कई बार अपनी बाईक पे बिठाया था, लेकिन आज सब अलग सा था. तभी अचानक बारिश शुरू हो गयी और हम घर आते आते लगभग पूरे भीग गए. मैं बाइक पर आगे होने की वजह से कुछ ज्यादा ही भीग गया था, जबकि उसके कपड़े कम भीगे थे.
फ्लैट पर आते ही मैंने उसे लोवर टीशर्ट दे कर कपड़े सुखाने को बोला. कमरे का एसी चला कर मैं चाय बनाने के लिए किचन में आ गया. चाय गैस पर धीमी आंच पर रख दी. फिर मैंने भी लोवर टी-शर्ट डाल लिया और रूम में पहुंच गया.
मैंने देखा कि कीर्ति ने कम्बल ओढ़ रखा था. वो मुझे एसी ऑफ करने को बोलने लगी. हल्की हल्की ठण्ड मुझे भी लग रही थी. मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और सीधे कम्बल में घुस कर कीर्ति से लिपट कर किस करना शुरू कर दिया. हम दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह किस कर रहे थे. इसी समय मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी और जैसे ही हम दोनों के नंगे जिस्म एक दूसरे से मिले, तो मानो भूसे में आग सी लग गयी.
मैंने बेताबी से चूमते हुए कीर्ति की ब्रा खोल दी. उसके चूचे मेरे सीने से चिपके हुए थे. वो मदहोश हुई जा रही थी. उसके साथ ये सब पहली बार हो रहा था.
कमरे का माहौल इतना गर्म हो चुका था कि कम्बल कहीं और पड़ा था और हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे.
अब मैं कीर्ति के ऊपर आ गया था. हम दोनों को सर्दी होने के बावजूद भी पसीना आ रहा था.
हद तो तब हो गयी, जब मेरा हाथ उसकी पैंटी में गया. उसकी चूत से पानी निकल रहा था. उसने मेरा हाथ झटके से हटा दिया और मुझे दूर करने लगी.
मैंने ज़बरदस्ती करना सही न समझते हुए चाय का ध्यान किया. किचन में जाकर देखा तो चाय उबल कर आधी रह गयी थी. मैं चाय को दो कप में डालकर लाया. मैंने देखा कि इतनी देर में उसने टी-शर्ट पहन ली थी … और फिर से कम्बल में बैठ गई थी. मैंने अपनी टी-शर्ट नहीं पहनी.
फिर हम दोनों ने चाय फिनिश करते हुए बातें की. तब उसने बताया कि वो अभी तक वर्जिन है और बहुत डर गयी थी. मैंने उसे समझाया कि डरने की कोई बात नहीं है, मेरी अपनी गर्लफ्रेंड, जिसे मैंने कल चोदा था, उसकी भी सील मैंने ही तोड़ी थी. मुझे पूरा अनुभव है, तुम चिंता मत करो.
लेकिन उसने मेरे से सेक्स न करने का प्रॉमिस लिया.
हम दोनों ने चाय रख कर फिर से अपना सेशन आरम्भ किया. अब मैं फिर उसकी पेंटी तक गया. इस बार उसने मुझे नहीं रोका. मैंने उसकी चूत में उंगली डाली, तो उसके सच का एहसास हुआ. मेरी उंगली ज़रा सी ही अन्दर गयी कि वो दर्द से चिल्लाने लगी.
उसे सच में कुंवारी जानकर मेरा लंड मेरे काबू के बाहर हो चुका था.
मैंने उसके हाथ में लंड दे दिया. वो मेरा खड़ा लंड सहलाने लगी और बोलने लगी- ये तो बहुत मोटा है … आपकी गर्लफ्रेंड की चूत में ये चला जाता है?
मैंने उसे बोला- आज ये तेरी चूत में भी जाएगा, तू चिंता मत कर.
लेकिन उसने तुरंत मना कर दिया.
वो मना उस स्थिति में कर रही थी जब हम दोनों पूरे नंगे थे. दोनों सेक्स की आग में जल भी रहे थे.
मैंने समझ लिया कि ‘मन मन भावे … मुंडी हिलावे’ वाली स्थिति है. मैंने 69 का पोज बनाया. उसने मेरा लंड खूब चूसा. मैंने भी अपनी जीभ अन्दर डाल कर उसे खूब मज़ा दिया. उसका दो बार जिस्म अकड़ गया.
जब उसका पानी निकला, तो वो बोलने लगी- अब हट जाओ, मुझे पेशाब आ रही है.
मुझे पता था कि उसका पानी निकलने वाला है, जिसे वो पेशाब समझ रही थी. मैं उसकी चूत चुसाई में लगा रहा और पूरे मनोयोग से उसकी चूत को चूसता रहा. तभी एकदम से हुँकार मारते हुए उसने अपना पानी छोड़ दिया.
यह अहसास उसके लिए बिल्कुल नया था.
अब मैंने उसकी चूत मारने का सोचा और उसकी दोनों टांगें फैला कर खूब सारा थूक उसकी चूत पर लगा दिया. फिर अपने लोहे जैसे पूरे खड़े लंड पर भी थूक लगा लिया. उसने इतना हो जाने पर भी कोई विरोध नहीं हुआ था.
मैंने अपने लंड को चूत पर टिकाया तो मेरे मन में सितार बज रहे थे. मन तो अब उसका भी लंड लेने को हो गया था. मैंने सोचा प्रॉमिस जाए भाड़ में, लंड पेलना जरूरी है.
मैंने लंड घुसेड़ा तो कीर्ति चीखने चिल्लाने लगी. मेरी लाख कोशिश के बाद भी उसने मेरा लंड चूत में नहीं जाने दिया.
मैंने चुदाई का मूड फिलहाल रोक दिया. मैं उसे बाथरूम में ले गया. हम दोनों नंगे नहाए. उसने मेरे लंड पे साबुन लगाया. मैंने उधर फिर से ज़बरदस्ती चूत में लंड घुसाने की कोशिश की. इस बार उसका विरोध कमजोर पड़ गया और मेरा लंड एक इंच अन्दर चला गया. उसे खून निकलने लगा.
कीर्ति खून देख कर रोने लगी. अब मुझे भी उस पर दया आने लगी थी लेकिन मेरा लंड प्रचंड खड़ा हुआ था.
मैंने उसकी चूत साफ़ करके चूत पे किस किया. मेरी लार ने एक एंटीसेप्टिक जैसा काम किया, उसका दर्द कम हो गया. मैंने उसकी चूत को लगातार चूसा, जिससे एक बार और उसका पानी मेरे मुँह में ही निकल गया.
लेकिन मेरा लंड जबरदस्त खड़ा था. मैंने उससे रिक्वेस्ट की- कीर्ति, मेरा पानी मुँह से निकाल दो.
उसने मेरा लंड चूसा और लंड चूस कर मेरा पानी निकाल दिया, पर पिया नहीं. माल टेस्ट करके उसने बाहर गिरा दिया.
फिर मैंने नहा कर उसे उसके घर पे छोड़ दिया. रात को उसका कॉल आया कि चूत से खून की बूंद हर बार टॉयलेट जाते समय आ रही ही, कुछ होगा तो नहीं?
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा.
उसने बताया कि उसको चलने में भी दिक्कत हो रही है.
मैंने उसे पेन किलर खाने की सलाह दी.
अगले दिन वो छुट्टी पर रही. उसके बाद हम कई बार मिले, सेक्स छोड़ कर सब कुछ किया … घंटों तक एक साथ नंगे साथ लेटे रहे, एक दूसरे के साथ 69 का पोज बनाते, एक दूसरे का पानी निकाल देते थे.
कई बार गुस्से में मैंने तेल लगाकर कंडोम लगाकर भी उसे चोदने की कोशिश की, लेकिन उसकी आंखों में कुछ था, जिसने मुझे उसके साथ कभी सेक्स नहीं करने दिया. कीर्ति की सिर्फ चूत में लंड नहीं गया … बाकी ऐसी कोई चीज़ नहीं रह गई थी, जो हमने न की हो. यहां तक कि उसने मेरे बोलने पर मेरे एक दोस्त के साथ भी वही सब किया, लेकिन सेक्स नहीं किया. हम लोगों ने थ्री-सम भी किया, लेकिन पट्ठी ने लंड को चूत में नहीं लिया.
फिर मैंने भी सोचा कि चूत तो कई चोदी हैं, इसी की चूत तो नहीं मिली. जब समय आएगा तो दे ही देगी.
मेरे दोस्त ने भी यही बोला कि चूत चोदना बड़ी बात नहीं, किसी के मन को जीत लेना बहुत बड़ी बात होती है.
अब कीर्ति की शादी हो चुकी है. शादी के बाद मैं कभी उससे नहीं मिला, हालांकि मेरे पास उसका कॉल आया था. शायद वो मेरी अधूरी इच्छा को पूरा करना चाहती थी. लेकिन फिर ये सब मुझे सही नहीं लगा … पता नहीं क्यों.
दोस्तो, आपको मेरी ये अधूरी चुदाई की कहानी कैसी लगेगी, मुझे नहीं मालूम. लेकिन इसमें सिर्फ नाम छोड़कर बाकी सब सच लिखा है. मैंने जिंदगी में बहुत चूत चोदी हैं, हर चूत में चुदने की कुछ अलग अदा होती है. अपनी गर्लफ्रेंड के बाद मुझे अगर किसी की चूत इतनी प्यारी लगी, तो वो थी कीर्ति की चूत.
मेरे चुदाई के और भी अनुभव रहे हैं, जिन्हें मैं आगे आपके साथ शेयर करता रहूँगा.
यदि आप मुझे मेल करना चाहें, तो आपका स्वागत है.
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