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तीसरी न्यूज़ एंकर की चुदाई- 2
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तीसरी न्यूज़ एंकर की चुदाई- 4
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एडल्ट रोल प्ले स्टोरी में पढ़ें कि तीसरी न्यूज़ एंकर ने कैसे मुझे गुलाम बना मुझ पर हुक्म चलाया. मुझसे अपने तलवे चटवाये. मजा लें पढ़ कर कि और क्या क्या करवाया.
उसने अपना टॉप उतार के बगल में डाल दिया. मस्त चूचों की जोड़ी चमक उठी. टॉप के भीतर ब्रा नहीं पहनी हुई थी. चूचे गोल गोल थे. संतरे जैसे गोल. निप्पल छोटे छोटे और निप्पल के दायरे भी छोटे छोटे. निप्पल अच्छे से अकड़े हुए थे.
रानी ने दोनों चूचे थाम लिए और निप्पलों को अंगूठे और तर्जनी में दबा लिया. फिर वो निप्पल निचोड़ निचोड़ के मुझे तरसाने को दिखाने लगी.
मैं टकटकी लगाए यह कामुक दृश्य निहारे जा रहा था. लंड तो कभी का सख्त होकर गुस्साए नाग जैसे फुन फुन कर रहा था.
यकायक पिंकी रानी ने एक पैर मेरी छाती पर रख के ज़ोर से धक्का दिया तो मैं नीचे फर्श पर गिर गया.
रानी ने लपक के अपनी टॉप मेरे चेहरे पर डाल दिया.
मैंने जैसे ही टॉप को हटाना चाहा तो रानी चिल्लाई- हटा नहीं इसको … तेरी मालकिन का है. खबरदार जो हाथ भी लगाया.
मैंने कहा- जो आज्ञा मेमसाब.
रानी ने एक पांव टॉप के नीचे से मेरे मुंह पर रगड़ना शुरू किया. कभी एक पैर कभी दूसरा पैर. मेरे मुंह और नाक को रगड़े जा रही थी.
साथ साथ में बोले जा रही थी- साले … राजे मेरे मुफ्त में खरीदे हुए दास … ले अपनी मालकिन के पांवों का स्वाद चख … सूंघ और चाट … सूंघ और चाट कमीने … तेरी माँ की चूत हरामी … मुंह खोल भोसड़ी वाले … खोल मुंह.
मैंने मुंह खोल दिया.
अगले ही क्षण मेरे मुंह में कोई कपड़ा ठूंस दिया गया. पहले तो मालूम नहीं चला कि क्या कपड़ा है परन्तु थोड़ी देर में उसमें से रानी की चूत की वह विशेष सुगंध नाक में आनी शुरू हुई. हल्की सी पसीने की गंध भी थी. इसके सिवा लड़कियों की माहवारी की जो एक ख़ास सुगंध होती है वह भी मद्धम मद्धम आ रही थी. मैं समझ गया कि पिंकी ने अपनी पैंटी मेरे मुंह में घुसाई है.
यह भी समझ आ गया कि पिंकी का मासिक धर्म अभी ताज़ा ताज़ा ही पूरा होकर चुका है.
जो लोग लड़कियों की माहवारी के समय चूत चूसते हैं वो इस विशेष सुगंध को पहचानते हैं. लड़कियों को शायद खुद को यह खुशबू नहीं आती है मगर चूत चूसने वाले इसको तुरंत पहचान लेते हैं.
पाठिकाओं से मेरा लंड तुनकाकर निवेदन है कि अपनी इस मधुर, मादक, अति कामोत्तेजक सुगंध वाली ताक़त को पहचानें और इसका प्रयोग अपने पार्टनर्स को कठपुतली की तरह उंगलियों पर नचाने के लिए करें.
मैं पिंकी के पैरों को सूंघ रहा था और उसकी पैंटी से मस्त सुगंध तो आ ही रही थी. पैर चाटना भी चाहता था मगर पिंकी ने मुंह में पैंटी घुसा रखी थी इसलिए मन मसोस के पड़ा था.
तभी मेरे चेहरे पर रखा हुआ पिंकी का टॉप हटा लिया गया. देखा तो पिंकी पूरी मादरजात नंगी हो चुकी थी. पता ही नहीं लगा कि कब उसने सब कपड़े उतार दिए थे.
उसने टाँगें चौड़ी कीं और मेरे छाती के इधर उधर पैर टिका के उंगलियों से चूत के होंठ फैला लिए और घुटनों पर झुक के मेरी आँखों के सामने चूत ले आयी.
पिंकी ने चूत को और जितना खोला जा सकता था खोल लिया. मंत्रमुग्ध सा मैं उसे टकटकी लगाए देखे जा रहा था. गुलाबी फड़फड़ाती हुई चूत जो रस से भरी हुई थी. चूत के निचले कोने पर रस की एक बूँद बन गयी थी जो कभी भी टपक सकती थी.
गहरे गुलाबी रंग की चूत थी, कभी खुलती कभी बंद हो जाती. उसमें से लड़कियों की भग से आने वाली विशिष्ट मस्तानी सुगंध आ रही थी.
“राजे दास चूसेगा इसको?” पिंकी ने भरभराई सी आवाज़ में पूछा.
नेकी और पूछ पूछ! मैंने सिर हिला कर हूँ हूँ किया.
“तो फिर चूसता क्यों नहीं हरामी?” पिंकी चिल्लाई.
मैंने अपने मुंह की तरफ इशारा करके बताया कि मुंह तो बंद है मेमसाब की चड्डी से.
तुरंत ही पिंकी ने मुंहे में से चड्डी बाहर निकाल ली.
वैसे मुझे चड्डी चूसते रहने में कोई एतराज़ नहीं था. किन्तु अब चूत सामने थी चूसे जाने के लिए इसलिए मुंह खुलना ज़रूरी था. मुंह खुलते ही मैंने पिंकी के नितम्ब थाम के चूत को अपने मुंह से लगा लिया.
पिंकी ने घुटने मेरे सिर के इधर उधर फर्श पर अच्छे से टिका लिए और लगी अपनी चूचियां निचोड़ने.
मैंने सबसे पहले तो वो जो एक बड़ी सी बून्द चूत के नीचे जमा हो गयी थी उसको लपक के जीभ पर ले लिया. बस गिरने को ही थी कि मैंने उसको उठा लिया और स्वाद लेते हुए मुंह में घुमाकर निगल गया.
इसके उपरांत मैंने जीभ को चूत के मुहाने पर इधर उधर घुमाया और ज़ोर से भगनासा पर जीभ से टुक टुक की. पिंकी ने सिसकारियां भरते हुए और ज़ोर अपने चूचे निचोड़े. अब मैं दन दनादन जीभ को चूत में भीतर बाहर करने लगा.
चूत से रसप्रवाह जारी था, काफी तेज़ बहाव हो चला था. साफ़ ज़ाहिर था कि पिंकी की हवस पूरे ज़ोर पर पहुँच गयी थी.
अचानक पिंकी रानी ने चुदास से भर्रायी आवाज़ में पूछा- याद है न तू मुझे कैसे पुकारेगा राजे? बता तो ज़रा.
मैंने चूत से जीभ हटा के जवाब दिया- आपने मेमसाब कहने का आदेश दिया था मेमसाब.”
मेमसाब मेरे बाल खींच कर चिल्लाई- बहनचोद, सब रंडियों को रानी कहता है. मुझे नहीं कहेगा रानी? मेरे नाम में क्या कांटे लगे हैं?
यार अजीब लौंडिया है यह. अभी दस मिनट पहले ही तो इसने कहा था कि मैं इसको मेमसाब कहा करूं.
ख़ैर जलवे हैं हसीनों के! क्या कर सकते हैं इन जलवों का. हसीना से इश्क़ लड़ाया तो यह जलवे भी झेलने होंगे.
“मेमसाब जैसा आपने आर्डर दिया था मैं वैसे ही तो कह रहा हूँ मेमसाब … आप हुक्म करेंगी तो रानी कहूंगा जैसा बाकी सबको कहता हूँ.”
“हाँ कुत्ते … ज़रा सी भी बहस मत कर … अपनी औकात में रहना सीख एक अच्छे गुलाम की तरह … ख़बरदार जो अपनी मालकिन से ज़ुबान लड़ाई … अब से तू मुझे मेमरानी कहा करेगा. अकेले में भी और सबके सामने भी … फिर से याद दिला रही हूँ यह मालकिन और गुलाम वाला मामला सिर्फ अकेले में … समझ गया?”
मैंने गर्दन हिलाकर बताया कि हाँ समझ गया और फिर से उस रसभरी चूत का स्वाद भोगने में जुट गया.
मेमरानी खूब ऊपर नीचे हिल हिल के भग चुसवा रही थी. आह हा आह हा आह हा के शब्द उसके मुंह से निकल रहे थे. हरामज़ादी ने मेरे बाल कस के जकड़े हुए थे. मुझे तो लग रहा था कि आज ये बाल उखाड़ के मुझे गंजा करके ही दम लेगी.
लेकिन बाल सही सलामत बच गए. हुआ ये कि थोड़े समय के बाद मेम रानी को एक और उचंग सूझी. बोली- रुक ज़रा … मैं दो मिनट में आती हूँ.
झट से रानी की चूत मेरे मुंह से हट गई बाल भी आज़ाद हो गए. मैं अपने काफ़ी देर से सख्त अकड़न से दुखी होते लंड को सहलाता हुआ रानी के लौटने की बाट देखने लगा.
दो मिनट भी नहीं हुए थे कि कानों में झन झन झन झन … रुन झुन रुन झुन रुन झुन रुन झुन … की मधुर आवाज़ पड़ी.
मैंने गर्दन घुमा कर आवाज़ की ओर नज़र घुमाई तो देखा मेम रानी टखनों पर बड़े वाले घुंघरू और कलाईयों में छोटे घुंघरू बांधे हुए नागिन की तरह बल खाती, लहराती हुई आ रही है.
पैरों के घुंघरू से चलते हुए झन झन झन झन की आवाज़ आ रही थी और जब कलाइयां नाचती तो रुन झुन रुन झुन रुन झुन की थोड़ी नीचे स्वर में आवाज़ आती.
मैं मंत्रमुग्ध सा इस दृश्य को देखता रहा. मेरा लौड़ा कूद कूद के पीड़ा देने लगा था.
रानी ने आते ही अपनी चूत को लौड़े के सुपारी पर टिकाया और थोड़ा सा नीचे को चूत सरकायी जिससे लंड का टोपा चूत में चला गया.
“ले भोसड़ी के अब लूट मेम रानी की चूत का फुल मज़ा.” रानी ने धीमे धीमे तड़पते तड़पते, तड़पाते तड़पाते चूत में लंड को लीलना शुरू किया.
थोड़ासा लौड़ा अंदर लेती फिर थम जाती और उसी स्थान पर आने नितम्ब गोल गोल घुमाती.
इसी प्रकार से आगे बढ़ते हुए मेम रानी ने पूरा लौड़ा चूत में भर लिया. अब सुपारी उसकी यूट्रस से रगड़ खा रही थी. टोपा अच्छे से यूट्रस से दब गया था.
मेम रानी ने और ज़ोर से नितम्ब से मुझे दबाया तो लंड की पूरी जड़ तक की लम्बाई चूत में जा घुसी. ऐसा लगा कि लौड़ा बच्चेदानी को ऊपर को धकेल रहा है. चूत काफी टाइट थी. होनी भी चाहिए थी क्यूंकि यह ज़्यादा चुदी हुई नहीं थी. लम्बे अरसे से शायद लौड़ा नसीब नहीं हुआ था
मेमरानी ने अब तीव्र चुदास से भरकर हौले हौले धक्के देने शुरू किये. ज़्यादा लंड बाहर नहीं निकालती थी. ज़रा सा चूत ऊपर को सरकाती, शायद एक या दो इंच और फिर धमाक से नीचे लेकर बच्चेदानी से लंड को टकराती.
वो खुद अपने चूचे पकड़ के मसल रही थी और अंगूठे निप्पलों में गाड़ रखे थे. हम्म हम्म हम्म करते हुए गर्दन भी इधर उधर हिला रही थी.
कुतिया के कमर तक के लम्बे रेशमी बाल बिखर के सब तरफ फ़ैल गए थे.
मेमरानी लगातार चोदते हुए मेरी आँखों में आंखें डाले हुई थी. मेमरानी के घुंघरुओं की आवाज़ें बदस्तूर आ रही थीं. उन झुनझुनाती, छमछमाती, रुमझुमाती हुई आवाज़ों से वातावरण बहुत अधिक काममय हो चला था. ऐसी संगीतमय चुदाई का मेरा भी ये पहला अनुभव था.
गीत बजते हुए तो अनगिनत बार चोदा था, किन्तु चुदने वाली घुंघरू पहन के चुदे ऐसा पहली बार हो रहा था.
और मेमरानी तो चुद भी ऐसे रही थी कि जितना ज़्यादा खनक खनक कर सके उतना खनखनाये. बार बार पांव हिलाती थी और कलाइयों को घुमाती थी.
“कैसा लग रहा है हरामी पिल्ले? कैसे लगी अपनी मालकिन की चूत? है न रसीली?”
मैंने कहा- हाँ हाँ मेमरानी … बहुत मस्त चूत है आपकी … आप खुद भी सिर से पैरों तक मदमस्त और आपकी चूचियां भी सुपर मस्त, आपकी भग भी सुपर डुपर मस्त … गांड का भोगने के बाद बताऊंगा … आह आह आह मज़ा भर भर के आ रहा है मेम रानी.
मेमरानी ने चूचियां जड़ से ऐसे दबायीं कि चूची का आगे का भाग सामने को फूल सा गया. निप्पल की नोकें निकल आईं. यह निप्पल चिल्ला चिल्ला के कह रही थीं कि हमें चूस डालो … हम चुसने के लिए बेक़रार हैं… हमारा कुचल कुचल के रस निकाल डालो … हम अकड़ अकड़ के बहुत सख्त हो चुकी हैं. अब मसल मसल के हमे इस अकड़न से आज़ादी दिलाओ.
शायद मेमरानी मेरे दिल की मुराद ताड़ गई.
मुस्कुराते हुए साली ने एक धक्का ज़ोर से ठोका और बोली- चूसने की इच्छा हो रही ना इनको? … ले चूस कुत्ते … तू भी क्या याद रखेगा कि किस रहमदिल मालकिन का गुलाम है तू … ले कमीने ले.
इतना कह कर मेमरानी सामने को झुक गई तो मम्मे मेरे मुंह के सामने आ गए.
मैं तो कब से चूचियों को चूसने के लिए बेताब था ही. हुमक के मैंने मेमरानी की कमरिया भींच कर एक चूचे को मुंह में भर लिया और दूसरे को दबाने लगा. जितना मुंह के भीतर चूचा जा सकता उतना ठूंस के मैंने जीभ फिराते हुए स्वाद लेना शुरू किया.
वाकयी में चूसने में बेहद आनंद आ रहा था जैसा हर लौंडिया के चूचुक चूसने में आता ही है.
प्रकृति ने लड़कियों को चूचे दिए ही इसलिए हैं कि उनके प्रेमी चूस सकें.
मेम रानी मज़े से किलकारियां मारने लगी. बहुत ज़्यादा उत्तेजना से भर गयी थी मेमरानी. रसरसाती हुई चूत में हर धक्के के साथ लंड बड़े आराम से आ जा रहा था. फिसलता हुआ क्यूंकि चूतरस का बहाव काफी तेज़ हो गया था.
रानी ने अब जम के उछल कूद करते हुए धक्के लगाने शुरू कर दिए थे. वो चूत को पूरा ऊपर ले लेती जिससे लंड की सुपारी का थोड़ा सा भाग चूत में रह जाता. फिर धम्म से लौड़े पर बैठ जाती जिससे सुपारी चूत के अंतिम छोर तक जाकर यूट्रस से चुम्बन करती.
आह आह आह आह करते हुए मैं भी नीचे से चूतड़ कुदा कुदा के धक्के का जवाब धक्के से दे रहा था.
मैंने बारी बारी से दोनों चूचियां चूसी और निचोड़ी. पूरी ताक़त लगा कर मैं चूचे निचोड़ रहा था क्यूंकि रानी यही चाहती थी. न भी चाहती होती तो भी मैं तो पूरा ज़ोर लगाकर की चूचों की चटनी तो बनाता ही.
वातावरण में कई किस्म की आवाज़ें छायी हुई थीं. घुंघरुओं की दो तरह की आवाज़, रानी की सिसकारियों की आवाज़, मेरी आहों की आवाज़, लंड के छूट में अंदर बाहर होने पर फचाक फचाक फचाक की आवाज़, तगड़े शॉट लगने पर दो शरीरों की आपस में टकराने की आवाज़, ये सब आवाज़ें आपस में ऐसी मिक्स जो गयी थीं को कोई भी आवाज़ अलग से नहीं आ रही थी. सब खिचड़ी, भिन्न भिन्न ध्वनियों की खिचड़ी.
कहना न होगा कि मेम रानी अब चरम सीमा के बहुत करीब जा चुकी थी और जल्दी ही स्खलित होने को थी.
तेज़ धक्के ठोकने से रानी हांफने लगी थी. आंखें भीषण कामोत्तेजना से लाल हो गयी थीं और माथा पसीने से भीग गया था.
आठ दस झटकों में बाद रानी इतना थक गयी कि उससे धक्का मारने के लिए गांड भी उठायी नहीं जा रही थी. मैंने मौके की नज़ाक़त को भांपकर रानी के कस के बाँहों में भींचा और एक गुलाटी खायी तो रानी नीचे और मैं उसके ऊपर आ गया. इतना तो मैं अनभवी हूँ ही कि ऐसा करते हुए लंड को चूत से ना निकलने दूँ.
पलटी मार के मैंने रानी की आँखों में झाँका. मैं ये देखना चाहता था कि रानी को इसमें कोई ऐतराज़ तो नहीं हैं. मुझे याद थे रानी के कहे हुए साफ साफ शब्द कि चुदाई की पूरी क्रिया उसके हिसाब से होगी.
मगर मैंने ये पहल इसलिए की थी क्यूंकि मैं जान गया था कि रानी बहुत थक चुकी है.
मेरा अनुमान सही साबित हुआ. रानी ने आँखें मूँद के फुसफुसाकर कहा- सुन रुस्तम, दिखा दे अपनी ताक़त … पीस के रख दे मुझको … शरीर का एक एक अंग तोड़ डाल … आह आह आह … फुल फ़ोर्स से चोद दे … हाय मेरी माँ.
मैंने चौंक के पूछा- ये रुस्तम कौन हैं मेमरानी?
“तू ही तो है और कौन कमीने … तेरा लिए रुस्तम अच्छा नाम लगा तो रख दिया … अब चुप करके चुदाई में ज़ोर लगा … माँ चोद दे.
मैंने हचक के दस पंद्रह ज़बरदस्त शॉट ठोके.
रानी चिल्लाई- हाँ हाँ रुस्तम ऐसे ही चोद … हाँ हाँ हाँ … आह आह आह … बहनचोद साले तेरी माँ की चूत … हाय हाय हाय … और तेज़ और तेज़ … हाँ ऐसे ही … आह आह आह.
मैंने अब शॉट टिकाने की गति बहुत तीव्र कर दी. धम्म धम्म धम्म करके धक्कों पर धक्के लगने लगे. अब सबसे ऊँची आवाज़ धक्के ठुकने की आने लगी.
रानी थक के हाथ पैर कम हिला रही थी इसलिए घुंघरुओं के ध्वनि मद्धम हो गयी थी. उसकी चीखें भी सिसकारियों तक सिमट के रह गयी थीं.
वो बस सिर हिला रही थी, आहें भर रही थी. उसके हाथ मेरी कमर से और टाँगें मेरी टांगों से लिपटी हुई थीं. मैं भी झड़ने के निकट जा रहा था.
तभी मेम रानी ने एक चीख मारी और ज़ोर से ऐसे छटपटाई जैसे कोई मछली पानी के बाहर आ गयी हो. एकदम से घुंघरू फिर से खनक उठे, रानी के बाल उसके चेहरे पर आ गए, उसके हाथों के नाख़ून मेरी पीठ में धंस गए और रानी स्खलित हो गयी.
उसकी सांसें तेज़ तेज़ चल रही थीं और इसके फलस्वरूप चूचियां भी उतनी ही तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थीं. लंड तो चूत रस में डूबा ही हुआ था अब तो ढेर सा रस चूत से छिटक के मेरी झांटों और जांघों को भिगो रहा था.
कुछ धक्के फुल स्पीड से मारे और मैं भी झड़ गया. लंड से लावा निकलना शुरू हुआ तो निकलता ही चला गया. पूरी चूत को मलाई ने भर दिया.
लंड बैठ गया और सर्र से बाहर फिसल आया. रानी तो पहले ही झड़ के निढाल हुई पड़ी थी और अब मैं भी ढीला सा होकर उसके ऊपर ढेर हो गया.
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